प्रत्येक वोट का महत्व है- हर वोट को गिनो

वीवीपीटी की हर पर्ची की गिनती हो-पूर्ण पारदर्शिता व मतदान के आत्मविश्वास को प्राप्त करने के लिए जरुरी है

माननीय

श्री सुनील अरोड़ा

मुख्य निर्वाचन आयुक्त

निर्वाचन सदन, अशोक रोड

नई दिल्ली- 110001

2019 लोक सभा चुनाव का तीसरा चरण पूरा हो गया है| सारे देश से ईवीएम के इर्द गिर्द होने वाली गड़बड़ियों की सूचनाएं आ रही है|

मतदान नागरिकों का आधारभूत अधिकार है जो नागरिकों के मन में सरकार के निर्माण व प्रजातंत्र में विश्वास को वैधता व ताकत प्रदान करता है। लोगों की इच्छा को मजबूती मिलती है।

अभी वर्तमान मतदान व्यवस्था में मतदाता के लिए यह जरूरी है कि ईवीएम का बटन दबाने से उनकी चुनावी इच्छा सामने आये। दुर्भाग्य से आज इसका सत्यापन नहीं हो सकता है। मतदान व्यवस्था में पारदर्शिता नहीं होने से स्वतंत्र व निष्षक्ष चुनाव व्यवस्था सामने नहीं आती है। इससे प्रजातंत्र का मूल उद्देश्य ही कमजोर हो जाता है।

ईवीएम मशीनों के साथ वीवीपेट की पर्चियों की प्रभावशाली ऑडिट जिस पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आधारित है, उससे यह अलग बात है। इस कारण चुनाव देने की जरूरत है।

यह महत्वपूर्ण है कि मतदान प्रक्रिया को विश्वसनियता को नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता क्योंकि ईवीएम मशीनों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। चुनाव प्रक्रिया का आचरण न केवल विश्वसनीय हो बल्कि सभी नागरिकों को ऐसा दिखना भी चाहिए।

2009 में जर्मन संविधान कोर्ट ने कहा कि वोट डालने व गणना के लिए पूरी तरह ईवीएम का प्रयोग असंवैधानिक है। इस कोर्ट ने मतदाता के मन में चुनाव के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए मतपत्र वाली पद्धति को स्पष्ट किया।

पारदर्शिता सुनिश्चित करने व मतदाता के विश्वास को बनाये रखने के लिए ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया कि वीवीपेट को ईवीएम मशीनों का आवश्यक हिस्सा बनाया जाये।

2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने पुनः दोहराया कि हम सन्तुष्ट हैं कि वीवीपेट का होना स्वतंत्र व निष्षक्ष चुनाव के लिए आवश्यक है।

जो भी हो परन्तु वीवीपेट व्यवस्था मतपत्रों की गिनती के लिए इस्तेमाल नहीं हो रहीं है बल्कि इससे ईवीएम की खराबी भी वीवीपेट का हिस्सा बन गई है। यदि वीवीपेट की पर्चियों की गिनती होगी तो मशीन के माध्यम से जो कुछ गड़बड़ की आशंका फैली हुई है वह दूर हो जायेगी ओर ऑडिट करने की पद्धति को इससे अलग किया जा सकेगा।

इस कारण हमारा यह सुझाव है कि वीवीपेट पर्चियों को मतपत्र माना जाए और 2019 के चुनाव में प्रत्येक पर्ची की गिनती की जाये।

भविष्य में पारदर्शिता व मतदाता विश्वास तो मजबूत करने के लिए वीवीपेट पर्ची को बाहर निकाला जाए तथा मतदाता स्वंय मतपेटी में डालें। ईवीएम को क्रास चेक के रूप में इस्तेमाल किया जाए।

भारत का संविधान हर व्यस्क नागरिक को वोट का अधिकार देता है परन्तु इससें यह पता नहीं चलता है कि वोट कि सही सही गिनती हो रही है।

नागरिकों को व्यस्क मताधिकार का अधिकार बड़े लम्बे संघर्ष के बाद मिला। यह वर्तमान भारत के लोकतंत्र का मूल अधिकार है। मतपत्र के माध्यम से चुनाव सबसे ज्यादा विश्वसनिय रहा है।

चुनाव प्रकिया में ज्यादा पारदर्शिता व ज्यादा विश्वसनियता के लिए हम भारत के नागरिक निम्न मांग करतें है।

शत प्रतिशत वीवीपेट पर्चियों की जिन्हें हम मतपत्र मानते है मतदान के बाद गिनती होनी चाहिए। चुनाव के परिणाम ज्यादा महत्वपूर्ण है न कि इस बात की चिन्ता कि इसमें ज्यादा समय लगेगा।

नियम 49 एमए में संशोधन होना चाहिए क्योंकि इस नियम से मतदाता को अपराधी मान लिया जाता है क्योंकि ऑडिट परीक्षण अगले वोट से किया जाता है ओर यदि उसमें कोई शिकायत नहीं होती है

अतः बिना सारी पर्चियों के गिने जो भी किया जा रहा है वह सार्वभौमिक मतदान, संविधान द्धारा दिए गए पारदर्शी अधिकार व मतदाता के विश्वास का हनन है।

संदर्भ

1. 28 अक्टूबर 2018 को मौखिक सुनवाई पर 3 मार्च 2009 का फैसला- 2 BVC 3/07, 2 BVC 4/07

2. डॉ सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत का निर्वाचन आयोग (8 अक्टूबर 2013)

प्रत्येक वोट का महत्व है- हर वोट को गिनो
 
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